ना जाने कौन सी दुनिया से आते हो तुम
सुबह के सूरज में भी गर्मी महसूस करते हो तुम
शोले बुझ गए कब के
शीत राख में भी जलन महसूस करते हो तुम
ना मंजिल है ना ठिकाना
घर से भी चुभन महसूस करते हो तुम
हादसे हुए है , होते है
ठोकर खा कर भी
क्यों नहीं संभलते है
हम , हम , हम.